Depression
Depression के इलाज में बहुत मददगार है Psychotherapy, झिझकें नहीं समझदारी से काम लें
साइकोथेरपी कई तरह की होती हैं लेकिन इन सभी का मेन मोटिव पेशंट के डिप्रेशन का मुख्य कारण जानना होता है। इन थेरपीज के दौरान एक्सपर्ट्स आपको अपने विचारों और सोच के उन कारणों पर कंट्रोल करना सिखाते हैं, जो आपको अवसाद में धकेल रहे होते हैं। साइको थेरपी कई अलग-अलग तरह से भी की जाती है।
अगर आप पहले से डिप्रेशन के पेशंट हैं या आपको लगता है कि आप डिप्रेशन की तरफ बढ़ रहे हैं तो साइकोथेरपी इस बीमारी से निजात पाने में आपके लिए मददगार साबित हो सकती है। साइकोथेरपी को टॉक थेरपी के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इस थेरपी के दौरान एक ट्रेंड मेंटल हेल्थ प्रफेशनल पेशंट से बातचीत करके यह समझने की कोशिश करता है कि उसके डिप्रेशन के असल कारण क्या हैं। साथ ही वह अपने टिप्स और गाइडेंस के जरिए पेशंट को बेहतर फील कराता है।साइकोथेरपी कई तरह की होती हैं लेकिन इन सभी का मेन मोटिव पेशंट के डिप्रेशन का मुख्य कारण जानना होता है। इन थेरपीज के दौरान एक्सपर्ट्स आपको अपने विचारों और सोच के उन कारणों पर कंट्रोल करना सिखाते हैं, जो आपको अवसाद में धकेल रहे होते हैं। साइको थेरपी कई अलग-अलग तरह से भी की जाती है। इन्हें कॉन्गेटिव बिहेवियर थेरपी के नाम से जाना जाता है। कॉग्नेटिव बिहेवियर थेरपी में मुख्य रूप से ये थेरपी शामिल होती हैं…
व्यक्तिगत थेरपी (Individual Therapy)– इस थेरपी के दौरान एक्सपर्ट केवल पेशंट की थेरपी करता है। उसी से बातचीत करके उसकी परेशानी वजह जानने की कोशिश करता है।
ग्रुप थेरपी (Group Therapy)- इस थेरपी के दौरान एक्सपर्ट दो या अधिक पेशंट्स की एक साथ साइकोथेरपी करता है। यह इस मायने में मददगार साबित हो सकता है कि आप जिन परेशानियों से घिरे हुए हैं और सोच रहे हैं कि केवल आपके साथ ही यह सब हो रहा है तो ऐसा नहीं है। दुनिया में हजारों लोग इसी समस्या से गुजर रहे हैं।
कपल थेरपी (Couples Therapy)- इस थेरपी में पति-पत्नी को साथ में बैठाकर थेरपी दी जाती है। ताकि पार्टनर अपने साथी की समस्या को समझ सके और जान सके कि उसके डिप्रेशन की वजह क्या है। उन्हें सिखाया जाता है कि किस तरह वे अपने वर्ड्स और ऐक्शन के जरिए अपने पार्टनर को डिप्रेशन से बाहर निकलने में मदद कर सकते हैं।
फैमिली थेरपी (Family Therapy)- इस थेरपी के दौरान परिवार के सदस्यों को यह समझने में मदद की जाती है कि डिप्रेशन आपको किस तरह प्रभावित कर रहा है और वे लोग इससे बाहर आने में किस तरह आपकी मदद कर सकते हैं। हालांकि थेरपिस्ट पेशंट की कंडीशन के हिसाब से थेरपी सिलेक्ट करते हैं। हो सकता है कि आपके थेरपिस्ट कई तरह की थेरपीज को एक साथ लेकर आपका ट्रीटमेंट करे।
”हमारे देश में साइकॉलजिकल माइंडेट की कमी है। उसकी वजह से लोग इस तरह की बीमारी को साइकॉलजिकल सिकनेस ना समझकर फिजिकल डिजीज समझते हैं। साइकॉलजिकल माइंडेट की कमी के कारण यह स्थिति बहुत दुविधाजनक होती है। क्योंकि इसके चलते साइकाइट्रिस्ट को भी पेशंट की थेरपी करने और उसे यह यकीन दिलाने में काफी मशक्कत करनी होती है कि उसकी परेशानी शारीरिक नहीं मानसिक है। इसलिए इस दिक्कत को दूर करने के लिए मेंटल हेल्थ अवेयरनेस बहुत जरूरी है। इसमें मेडिकल सेक्टर के दूसरे विशेषज्ञ, मीडिया, एजुकेशन और एनजीओ बेहतर योगदान दे सकते हैं। ” – इरा गुप्ता, एमफिल क्लिनिकल साइकॉलजी, कंसल्टेंट उद्गम मेंटल हेल्थ केयर, दिल्ली।