सीमन और नाइट फॉल से जुड़ा भ्रम दूर हो जाएगा, जान लें ये फैक्ट्स
धात की बीमारी हमारे देश में पुरुषों में होनेवाली अन्य बीमारियों की तरह ही सामान्य है। हमारे देश में Nightfall को नपुंसकता या पौरुष शक्ति में कमी की वजह माना जाता है। देश के कई हिस्सों में तो यह पुरुषों में शर्मिंदगी और घातक स्तर पर मानसिक तनाव की बन जाती है।
धात की बीमारी का सामना करना किसी भी पुरुष के लिए आसान नहीं होता है। आमतौर पर लोग Nightfall के कारण मानसिक तनाव का शिकार हो जाते हैं। उन्हें लगने लगता है कि इससे उनकी सेक्शुअल पॉवर कम हो जाएगी और वे अपनी सेक्स लाइफ को इंजॉय नहीं कर पाएंगे। जबकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह culture bound syndrome है। यानी परिवेश और सोच के कारण उत्पन्न होनेवाली एक समस्या।क्या होता है धात या नाइट फॉल?नाइट फॉल एक ऐसी समस्या होती है, जिसमें किसी पुरुष को सोते-सोते अचानक ही सीमन निकलने की दिक्कत हो जाती है। यह सीमन यूरिन की कुछ ड्रॉप्स के साथ भी निकल सकता है। इस कारण व्यक्ति असहज हो जाता है। इसे स्वप्न दोष के नाम से भी जाना जाता है।मैक्स हॉस्पिटल, दिल्ली में कंसल्टेंट और सीनियर सायकाइट्रिस्ट डॉक्टर राजेश कहते हैं कि नाइट फॉल या धात की बीमारी केवल भारतीय उपमहाद्वीप में ही देखने को मिलती है। इस बीमारी के ज्यादातर मरीज भारत, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और पाकिस्तान में देखे जाते हैं।डॉक्टर से लेकर झाड़-फूंक तकग्रामीण अंचलों में तो लोग नाइट फॉल या धात की दिक्कत के इलाज के लिए डॉक्टर के पास ना जाकर झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ जाते हैं। जबकि इसकी कोई जरूरत नहीं होती है। मेंटल डिजीज एक्सपर्ट और सायकाइट्रिस्ट डॉक्टर राजेश कुमार के अनुसार, नाइट फॉल के कारण परेशान होने की कोई जरूरत नहीं होती है।आमतौर पर लोगों का मानना है कि सीमन यानी पुरुषों के लिंग से डिसचार्ज होनेवाला सफेद द्रव्य खून से बनता है। लेकिन एक्सपर्ट्स के अनुसार यह सच नहीं है। यह पुरानी मान्यता है कि ‘धातु खून के द्वारा बोनमैरो में बनता है। एक एमएल खून बनने में 40 दिन लगते हैं और 40 बूंद खून से एक ड्रॉप सीमन बनता है।’ जबकि यह सिर्फ एक धारणा है हकीकत नहीं।ब्लड और सीमन का कोई रिश्ता नहींडॉक्टर राजेश के अनुसार, ब्लड का सीमन से कोई भी लेना-देना नहीं है। सीमन ब्लड से नहीं बनता है बल्कि यह शुगर, पानी और कुछ लाइव सेल्स का मिश्रण होता है और इसके बनने की प्रॉसेस बॉडी में लगातार चलती रहती है। ऐसे में अगर सेक्स या मास्टरबेशन के जरिए इसे ना निकाला जाए तो यह खुद-ब-खुद डिसचार्ज हो जाता है। यह एक नॉर्मल प्रॉसेस है।डॉक्टर राजेश का कहना है कि मेडिकल साइंस के हिसाब से मास्टरबेशन कोई बुरी चीज नहीं है जबकि यह आपको मेंटल या फिजिकल स्तर पर परेशान ना कर रही हो। सेक्स एक फिजिकल नीड है और नैचरल प्रॉसेस है। इसे लेकर बुरा फील करना या हीनता से देखना हमारी अपनी सोच पर निर्भर करता है।इन लोगों को अधिक होता है नाइट फॉलडॉक्टर राजेश के अनुसार, नाइट फॉल की समस्या आमतौर पर यंगस्टर्स में होती है या उन लोगों में होती है, जिनकी हाल-फिलहाल शादी हुई हो। कुछ लोगों में यह रात में सोते वक्त या सपना देखते वक्त डिसचार्ज हो जाता है। जबकि कुछ लोगों में यूरिन के साथ आता है। दोनों ही बेहद सामान्य स्थितियां हैं।पेशंट को महसूस होती हैं ये दिक्कतेंनाइट फॉल से ग्रसित व्यक्ति को लगने लगता है कि वह कमजोर हो रहा है, उसकी आंखों के नीचे डार्क सर्कल बन रहे हैं। हड्डियों में दर्द हो रहा है, वह उदास रहने लगता है कि अब क्या होगा? उसे कोई गंभीर बीमारी हो गई है? उसकी मेरिटल लाइफ आगे कैसे चलेगी? इन सब विचारों के कारण उसका काम करने में इंटरेस्ट कम हो जाता है।नाइट फॉल के कारण अक्सर लोग गिल्ट से भर जाते हैं। उन्हें लगने लगता है कि मास्टरबेशन करने के कारण यह धात की बीमारी हो गई है। इस कारण कई लोग ऐंग्जाइटी और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। जबकि यह दिक्कत उन लोगों को भी हो सकती है, जो मास्टरबेट ना करते हों।नाइट फॉल से बचने का तरीकाअगर आपको नाइट फॉल की समस्या बहुत अधिक हो रही है तो आपको सायकाइट्रिस्ट या सायकॉलजिस्ट से मिलना चाहिए। जितना हो सके भ्रामक जानकारियों से बचें और झाड़-फूंक के चक्कर में बिल्कुल ना पड़ें। अपने शरीर के काम करने के तरीके को समझें और फिजिकल नॉलेज बढ़ाएं।भारतीय उपमहाद्वीप में ही क्यों होता है नाइट फॉल?एक्सपर्ट्स के अनुसार, किसी भी जगह की संस्कृति और वहां रहनेवाले लोगों की सोच में गहरा संबंध होता है। ये दोनों एक दूसरे को प्रभावित करते हैं और आनेवाली पीढ़ियों तक इसी तरह से ट्रांसफर भी होते रहते हैं। हमारे कल्चर का असर व्यवहार और मेंटल हेल्थ पर भी दिखाई देता है। कई मानसिक बीमारियां हैं, जो दुनिया के कुछ खास हिस्सों में ही पाई जाती हैं। नाइट फॉल भी इन्हीं में से एक है।
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